समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आज़म खान ने इस फैसले का स्वागत करने की बात कही।
ताज महल गुलामी की निशानी है, क़ुतुब मीनार गुलामी की निशानी है, दिल्ली का लाल किला, आगरा का किला गुलामी की निशानी है। पार्लियामेंट गुलामी की निशानी है, राष्ट्रपति भवन गुलामी की निशानी है, यह अच्छी पहल है और मेरे ख़याल से तो एक ज़माने में बात चली थी की ताज महल को गिराना चाहिए, अगर एसा होगा और योगी जी इस तरह का निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद में तो नहीं दे सकते थे क्यूंकि वोह अल्लाह का घर था , लेकिन ताज महल मकबरा है, गुलामी की निशानी है, योगी जी ने कहा भी है कि मुग़ल हमारे पूर्वज नहीं है और इतिहास को पढने से मालूम होता है, यह चीजें रहना ही नहीं चाहिये। आजम ने कहा कि पर्यटन से हटाने की क्या ज़रूरत है अपमान की निशानी को, गुलामी की निशानी को! इन सबको ध्वस्त कर देना चाहिए। आज़म खान से यह पूछने पर कि आप कह रहे हैं कि इसको तोड़ देना चाहिए? आज़म खान ने कहा कि जिस टाइम योगी जी ताजमहल गिराने चलेंगे, मैं साथ चलूँगा।
ताजमल में नहीं भारतीय संस्कति की झलक जून में बिहार के मिथिलाचंल में एक रैली में योगी ने कहा था कि ताजमहल से भारतीय संस्कृति नहीं झलकती है। इसलिए ताजमहल देखने पहुंचे विदेशी पर्यटकों को गीता रामायण की प्रतियां साथ बेची जाएंगी। उत्तर प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद होने के दौरान से ही मुगलों के समय की बनी इमारतों को लेकर तल्ख टिप्पणी करते रहे हैं, तो वहीं आजम पलटवार करते रहे हैं।
बदल दूंगा ताजमहल का नाम गोरखपुर में कई जगहों के नाम बदलने वाले योगी आदित्यनाथ सीएम बनने से पहले एक टीवी चैनल से इंटरव्यू में कह चुके हैं कि वो ताजमहल का भी नाम बदलने के इच्छुक हैं। योगी ने कहा था कि सबका नाम बदलेंगे, बस अनुकूल समय आने दीजिए। उन्होंने ताजमहल का भी नाम बदलने की बात कही थी। योगी सरकार में ताजमहल के रखरखाव के बजट में भारी कमी हुई है, जिसको लेकर भी सपा ने उनपर निशाना साधा।