
पहली इस्लामी लाइब्रेरी अमीरूल मोमिनीन सय्यदिना अमीर मुआविया ने जामा मस्जिद दमिश्क़ में क़ायम की.
इस लाइब्रेरी का नाम बैतुल हिकमत (house of wisdom) रखा गया. ये दुनिया की पहली ऐसी लाइब्रेरी थी जिसमें रिसर्च सेंटर भी क़ायम किया गया. इस लाइब्रेरी में फारसी, युनानी, लातिनी और अरबी ज़बान के स्कॉलर्स को जमा किया गया ताकि वो यहां आकर रिसर्च करें. इन स्कॉलर्स के फेलोशिप लिए फेलोशिप का भी इन्तेजाम किया गया.
इस लाइब्रेरी में एस्ट्रॉलोजी, मेडिसन, केमिस्ट्री, मिलिट्री साइंस, शेर ओ अदब वगैरह से मुतालिक किताबें जमा की गईं. (1)
जोनाथन lyons के मुताबिक
During the Umayyad era, Muawiyah I started to gather a collection of books in Damascus. He then formed a library that was referred to as “Bayt al-Hikma”.Books written in Greek, Latin, and Persian in the fields of medicine, alchemy, physics, mathematics, astrology and other disciplines were also collected and translated by Muslim scholars at that time.(2)
उमवी दौर में, मुआविया अव्वल ने दमिश्क में किताबें जमा करनी शुरू कीं उन्होंने एक लाइब्रेरी बनाई जिसका नाम बैतुल हिकमत रखा. युनानी, लातिन, और फारसी में लिखी गईं किताबें जो मेडिसन, astrology, अल्केमी, फिजीक्स, मैथ, वगैरह से मुतालिक थीं वहाँ जमा की गईं जो उसी ज़माने के मुस्लिम स्कालर्स ने तर्जुमा की थीं.
फिर इसी के बाद चीन से काग़ज़ बनाने की टेक्नोलॉजी अरब में लायी गयी जिस से क़ुरआन की इशाअत में ज़बरदस्त फायदा हुआ.
ऐसा नहीं है कि इस लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर में सिर्फ़ मुस्लिम आ सकते थे बहुत से ईसाई भी इस लाइब्रेरी में आते और अपनी इल्मी प्यास बुझाते. अल्लामा शिबली के मुताबिक़ इस सेंटर में इब्ने ईसाल नाम का ईसाई आलिम था जिसने लातिन ज़बान से अरबी में किताबें तर्जुमा कीं.(3)
ग़ालिबन ये इसी लाइब्रेरी का समरा था कि अमीर मुआविया का पोता खालिद इस्लामी दुनिया का पहला फ़लसफ़ी, साइंटिस्ट और केमिस्ट था. केमिस्ट्री की दुनिया में खालिद को एक अज़ीम शख्सियत तस्लीम किया गया है.. खालिद पर यूरोपीय ज़बानों में कई रिसर्च पेपर शाया हो चुके हैं.
References.
1-M. Lesley Wilkins (1994), “Islamic
Libraries to 1920
2- house of wisdom page 55
3- मक़ालात ए शिबली जिल्द 3, मुसलमानों की गुज़िशता तालीम.
Salam Ya Muaviyah
Salam Ya Ameer Al Momineen
Yaum e wafat 22 Rajab!
Post Source : Khwaja Amn Junaid