इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (4.10.17) को अलाउल मुस्तफा की याचिका ख़ारिज की जिसमे उन्होंने मांग की थी कि मदरसों को राष्ट्रगान गाने में छूट मिलनी चाहिए।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करना हर नागरिक का संवैधानिक कर्तव्य है। ऐसे में जाति, धर्म और भाषा के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रगान और तिरंगे का सम्मान करना संवैधानिक कर्तव्य है। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रगान को जाति, धर्म और भाषा भेद से परे बताते हुए मदरसों की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब मदरसों में राष्ट्रगान अनिवार्य रूप से गाना ही पड़ेगा। चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंड पीठ ने ये आदेश दिया है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 15 अगस्त पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम को लेकर पूरे प्रदेश के मदरसों को एक सर्कुलर जारी किया था। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार की ओर से जारी इस सर्कुलर में कहा गया था कि प्रदेश के सभी मदरसों में स्वतंत्रतता दिवस का आयोजन किया जाए। इसमें झंडा रोहण, राष्ट्रगान, स्वतंत्रता संग्राम को शहीदों को श्रृद्धांजलि, मदरसे के छात्र व छात्राओं द्वारा राष्ट्रीय गीतों का प्रस्तुतिकरण, सहित तमाम कार्यक्रमों के आयोजन की बात कही गई थी। सर्कुलर में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करने को भी कहा गया था, ताकि उत्कृष्ट श्रेणी के कार्यक्रमों को भविष्य में दोहराया जा सके और प्रोत्साहित किया जा सके।
योगी सरकार के इस सर्कुलर के जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया था। इस पर सफाई देते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा का कहना है कि यूपी मदरसा शिक्षा परिषद की ओर से यह अच्छी पहल है, 15 अगस्त को मदरसों में तिरंगा फहराया जाना चाहिए, राष्ट्रगान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार तमाम वीडियो की समीक्षा करेगी और बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को बढ़ावा देने का साथ सम्मानित करेगी। हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास पर भरोसा करती है
पिछले स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में राष्ट्रगान गाने को लेकर बरेली की दरगाह आला हजरत ने ऐतराज जताया था। हालांकि देवबंदियों का नजरिया बिल्कुल अलग है। आला हजरत ने राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ और राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाने से साफ इनकार कर दिया था। आला हजरत दरगाह में राष्ट्रगान की जगह सारे जहां से ‘अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ गाने की बात कही गई थी। इस संबंध में जमात रजा-ए-मुस्तफा के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने कहा था कि राष्ट्रगान में भारत को भाग्य विधाता बताया गया है, जबकि इस्लाम में सिर्फ अल्लाह को भाग्य विधाता माना जाता है। इसी प्रकार जय हो जय हो कहने की इजाजत भी इस्लाम नहीं देता। जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन कादरी ने कहा कि हुकूमत का मदरसों को ऐसा आदेश देना एक साजिश है। दूसरी तरफ देवबंद के दारुल उलूम समेत अन्य उलेमा ए कराम ने आला हजरत के बयान को नकार दिया था। उलेमा ने कहा था कि पहले राष्ट्रगान को समझें और फिर बयानबाजी करें।