मेरठ, सात अक्तूबर
सीआरपीएफ ने कश्मीर घाटी में सडक़ों पर होने वाले प्रदर्शनों से निपटने के लिए नई विकसित एवं कम घातक प्लास्टिक की 21 हजार गोलियां भेजी हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन :डीआरडीओ: द्वारा विकसित और पुणे की आयुध फैक्ट्री में निर्मित इन गोलियों को एके श्रृंखला की राइफलों में भरा जा सकता है और ए विवादों में रहीं पैलेट गोलियों का विकल्प होंगी।
सीआरपीएफ के महानिदेशक आर आर भटनागर ने पीटीआई से कहा, परीक्षणों में पता चला है कि ए प्लास्टिक की गोलियां कम घातक हैं। इससे भीड़ नियंत्रण के लिए प्रयुक्त पैलेट गनों और अन्य गैर घातक हथियारों पर हमारी निर्भरता कम होगी।
उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने और घाटी में पत्थरबाजों से निपटने के लिए बल द्वारा प्रयोग की जाने वाली ए सबसे नई प्रकार की कम घातक गोलियां हैं।
डीजी ने कहा, हमारी सभी इकाइयों को वितरण के लिए हाल में करीब 21 हजार गोलियां भेजी गई हैं।
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से लडऩे तथा कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए तैनात सीआरपीएफ ने प्लास्टिक की गोलियों का आर्डर दिया था ताकि जवान धातु से बनी घातक गोलियों की जगह नई प्लास्टिक गोलियां अपने पास रख सकें।
भटनागर ने कहा कि एके श्रृंखला की दोनों राइफलों 47 और 56 का सीआरपीएफ द्वारा कश्मीर घाटी में प्रयोग किया जा रहा है। गोलियों को इस तरह से बनाया गया है कि वे इन राइफलों में फिट हो सकें।