
कर्नाटक में एक ब्राह्मण प्रफेसर की 5 मई को कोविड-19 से मौत हो गई। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सैयद नसीर हुसैन ने उनका दाह संस्कार किया। इतना ही नहीं प्रफेसर के मरने के बाद उनके अंतिम संस्कार के बाद होने वाली रस्मों को भी नसीर ने ही पूरा किया। नसीर ने श्रीरंगपट्टनम के पास पश्चिम वाहिनी में प्रफेसर की अस्थियां विसर्जित कीं।
जापानी भाषा, इतिहास और राजनीति की शोधकर्ता 80 वर्षीय प्रफेसर सावित्री विश्वनाथन दिल्ली विश्वविद्यालय में चीनी और जापानी अध्ययन विभाग की पूर्व प्रमुख थीं। रिटायरमेंट के बाद वह बेंगलुरु में जाकर रहने लगीं। सावित्री की छोटी बहन महालक्ष्मी अत्रेयी दूसरे अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत गंभीर है।
जापानी भाषा, इतिहास और राजनीति की शोधकर्ता 80 वर्षीय प्रफेसर सावित्री विश्वनाथन दिल्ली विश्वविद्यालय में चीनी और जापानी अध्ययन विभाग की पूर्व प्रमुख थीं। रिटायरमेंट के बाद वह बेंगलुरु में जाकर रहने लगीं। सावित्री की छोटी बहन महालक्ष्मी अत्रेयी दूसरे अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत गंभीर है।
हुसैन ने बताया कि सावित्री ने जापानी भाषा शिक्षा और जापानी अध्ययन के विकास और प्रचार में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने जापान में अपने समकक्षों के साथ आधिकारिक वार्ता में भारत के प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों की सहायता की। वह जापान-भारत प्रख्यात व्यक्ति समूह (2000-2002) की सदस्य भी रहीं। उनके कई प्रकाशनों में शिमाजाकी टोसन के उपन्यास हकाई का हिंदी (अवग्ना) और तमिल (दलित पदुमपाडु) में अनुवाद शामिल है। जापानी सरकार ने उन्हें 1967 में प्रधान मंत्री पुरस्कार और 1982 में ऑर्डर ऑफ द प्रीशियस क्राउन, विस्टेरिया से सम्मानित किया था