आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शादी यानी निकाह को लेकर 10 नए बदलाव किए है। निकाह को लेकर किए गए इन नए बदलाव को कई बड़े संगठनों का समर्थन भी प्राप्त हुआ है। दरअसल, मुस्लिम निकाह को आसान बनाने, दहेज प्रथा का बहिष्कार करने और शादियों में फिजूलखर्ची रोकने जैसे बदलावों के साथ ये नया इकरारनामा जारी किया गया है। तो वहीं, इस नए इकरारनामे के लिए अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है, जो छह अप्रैल तक चलेगा।
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खबरों के मुताबिक, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी 11 बिंदुओं वाले इस नए इकरारनामे से शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची रुकेगी, जबकि निगाह सादगी के साथ हो सकेगा। इसमें मैरिज हाल के बजाय मस्जिदों में सादगी से निकाह करने, सिर्फ बाहर से आने वाले मेहमानों व घर वालों के लिए ही दावत का इंतजाम किए जाने की भी अपील की गई है। निकाह में गलत रस्मों को खत्म करने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 10 दिवसीय अभियान शुरू किया है। छह अप्रैल तक चलेगा।
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बोर्ड के अध्यक्ष सय्यद राबे हसनी नदवी व महासचिव मौलाना वली रहमानी के नेतृत्व में देश भर में इन 11 बिंदुओं को लेकर अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जाएगा। लोगों को समझाया जाएगा कि निकाह को मुश्किल न बनाए, शादियों में गैर जरूरी रस्म ओ रिवाज से परहेज करें। दहेज की मांग करने वालों की निंदा करते हुए उनका विरोध भी किया जाएगा। बोर्ड के सचिव उमरीन महफूज रहमानी ने बताया कि आसान व मसनून निकाह के विषय पर जुमा की नमाज से पहले तकरीरे भी होंगी।
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इन बिंदुओं पर मुस्लिमों से इकरार की गुजारिश
- निकाह में बेकार रस्म-ओ-रिवाज, दहेज की मांग, मांझा (हल्दी की रस्म), रतजगा से परहेज।
- बरात की रस्म को खत्म करने के लिए मस्जिदों में सादगी से निकाह।
- निकाह की दावत सिर्फ शहर के बाहर के मेहमानों और घर वालों के लिए।
- निकाह में शिरकत करेंगे, लेकिन निकाह के बाद खाने की दावत से बचेंगे।
- नौजवान अपने निकाह को सादगी के साथ कम खर्च में करेंगे।
- निकाह के तय वक्त का सख्ती से पालन करेंगे।
- निकाह के बाद सुन्नत के मुताबिक बीवी से बेहतर सुलूक करेंगे।
- वलीमा की दावत सादगी के साथ करेंगे, गरीबों का ख्याल भी रखेंगे।
- शरीयत के मुताबिक निकाह व दावत-ए-वलीमा का समर्थन करेंगे।
- निकाह व वलीमा में आतिशबाजी, नाचगाना आदि नहीं होगा।
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