उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की परीक्षा पास कर रुड़की की आयशा फरहीन ने शहर का नाम रोशन किया है। उन्होंने पहले प्रयास में ही इस परीक्षा को पास करने में सफलता प्राप्त की है। आयशा को जज बनने की प्रेरणा अपने स्वजनों से ही मिली है। उनके पिता शराफत अली रुड़की कचहरी में अधिवक्ता के पास मुंशी का कार्य करते हैं। परिवार के लोग बेटी की इस कामयाबी से फूले नहीं समा रहा हैं। घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
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पीसीएस-जे की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली आयशा फरहीन तहसील मुख्यालय से छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित शाहपुर रसूलपुर गांव की रहने वाली है। आयशा फरहीन ने बताया कि उनके परिवार से छह-सात सदस्य अधिवक्ता है। जिससे उनका न्यायिक सेवा की ओर रुझान बढ़ा। वह बचपन से ही देखती थी कि उसके दादा स्व. जियाऊलहक गौड रात दिन कानून की किताबों को पढ़कर आमजन को न्याय दिलाने का काम करते थे। उनको देखकर ही उसने बचपन से ही जज बनने की ठानी थी।
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बीएसएम पीजी कॉलेज से बीए एवं लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद उन्होंने एएमयू अलीगढ़ से एलएलएम की परीक्षा पास की और प्रयागराज व देहरादून में रहकर तैयारी की। आयशा फरहीन का कहना है कि वह जल्द से जल्द पीडि़तों को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगी।
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आयशा फरहीन के जज बनने की खबर को सुनकर परिचित लोग उनके घर पर बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं। चाचा शहजाद ने बताया कि भतीजी की कामयाबी से हर कोई खुश है। घर में खुशियों का माहौल है। आयशा के घर में दादा के अलावा फैजान अली, शफक्कत अली, शहनवाब एवं राशिद अली अधिवक्ता है।
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