ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने चीन पर अपने देश में वीगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि जो इसके लिए ज़िम्मेदार हैं उनके ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने बीबीसी से कहा कि मुस्लिम समूह की जबरन नसबंदी और बड़े पैमाने पर उत्पीड़न किए जाने की रिपोर्ट हैं।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ब्रिटेन अपने सहयोगियों के साथ इस पर उचित कार्रवाई करेगा।
वहीं, ब्रिटेन में चीन के राजदूत ने किसी भी प्रकार के यातना शिविर पर बातचीत होने की ख़बर को ‘फ़र्ज़ी’ बताया है।
बीबीसी के एक कार्यक्रम में चीनी राजदूत लियो श्याओमिंग ने कहा कि वीगर मुसलमानों के साथ देश के जातीय समूह के क़ानून के अनुसार ही व्यवहार किया जा रहा है।
चीनी राजदूत को ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रमाणित एक वीडियो दिखाया गया जिसमें वीगर मुसलमानों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई है और उन्हें ट्रेन में ले जाया जा रहा है।
इस पर उन्होंने कहा वीडियो में जो दिख रहा है उसके बारे में वो ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं और इस तरह से आप किसी देश में क़ैदियों को एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफ़र करते हैं।
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उन्होंने कहा, “शिंजियांग में किसी भी तरह के कंसंट्रेशन कैंप नहीं हैं। चीन के ऊपर बहुत सारे झूठे आरोप हैं।”
चीन पहले इन कैंपों के होने को ख़ारिज करता रहा था लेकिन बाद में उसने आतंकवाद और शिंजियांग में अलगावादियों की हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि यह कुछ ख़ास क़दम उठाए गए हैं।
प्रशासन पर आरोप हैं कि उन्होंने वीगर महिलाओं की जबरन नसबंदी की है या उनमें गर्भनिरोधक उपकरण लगाए हैं ताकि जनसंख्या पर काबू किया जा सके. इसको लेकर संयुक्त राष्ट्र की जांच का आह्वान किया गया है।
वीगर के साथ उत्पीड़न को क्या उनका नरसंहार कहना चाहिए, जब यह सवाल विदेश मंत्री राब से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसे दावे करने से पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘सावधान’ रहना था।
हालांकि उन्होंने कहा, “जो भी क़ानूनी ठप्पा हो लेकिन यह साफ़ है कि बड़े पैमाने पर घिनौने तरीक़े से मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।”
“यह बेहद परेशान करने वाला है और मानवीय पहलू से की गई रिपोर्ट दिखाती हैं कि नसबंदी से लेकर एजुकेशन कैंप्स तक ये हमारी यादों को ताज़ा करता है जो हमने काफ़ी लंबे समय से नहीं देखा था।”
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“हम चीन के साथ सकारात्मक संबंध चाहते हैं लेकिन हम इस तरह का व्यवहार भी नहीं देख सकते हैं।”
इसके अलावा ब्रिटेन पर उन चीनी अधिकारियों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध और उनकी संपत्तियां ज़ब्त करने के लिए कहा जा रहा है जो वीगर मुसलमानों के उत्पीड़न के लिए ज़िम्मेदार बताए जा रहे हैं।
इससे जुड़ी एक याचिका पर 1 लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं जिसका मतलब है कि इस पर संसद में चर्चा हो इसको लेकर बहस हो सकती है।
ब्रिटेन ने हाल में म्यांमार के उन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी जिन पर रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसक अभियान चलाने के आरोप हैं। साथ ही ब्रिटेन ने बंधुआ मज़दूर कैंप चलाने वाले उत्तर कोरिया के निकायों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की थी।
विदेश मंत्री राब ने कहा कि यह दिखाता है कि ब्रिटेन ख़ुद भी और संयुक्त राष्ट्र के निकायों के साथ भी कार्रवाई करने के लिए तैयार है, लेकिन इसको तय करना इतना आसान नहीं है कि आप किसी भी एक्स या वाई पर प्रतिबंध लगा दें।
उन्होंने कहा, “आपको ठीक प्रकार से करना होता है जैसे हमने रोहिंग्या और उत्तर कोरिया के मामलों में किया। हमने सबूत इकट्ठा किए और इसमें लंबा समय लगा क्योंकि आपको इसकी ठीक से पहचान करनी होती है कि इसमें कौन-कौन शामिल था।”
चीन और ब्रिटेन की तनातनी हॉन्गकॉन्ग को लेकर भी है. इस पर भी चीनी राजदूत ने बीबीसी से बात की।
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उन्होंने कहा कि अगर ब्रिटेन ने उसके अधिकारियों को निशाना बनाया तो उनका देश भी इसका जवाब देगा।
चीन के नए सुरक्षा क़ानून को हॉन्गकॉन्ग में लागू करने के बाद पूरी दुनिया में इस पर ख़ासी चर्चा है। ब्रिटेन ने अपने देश के पासपोर्ट के लिए योग्य 30 लाख हॉन्गकॉन्ग के नागरिकों को अपने यहां रहने का प्रस्ताव दिया है।
चीनी राजदूत ने कहा, “अगर ब्रिटेन चीन के किसी भी एक शख़्स पर प्रतिबंध लगाने के लिए आगे बढ़ता है तो चीन निश्चित रूप से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देगा।”
उन्होंने वीगर मुसलमानों के ‘नस्लीय सफ़ाए’ के दावों को आधारहीन बताया और कहा कि वे “दूसरे नस्लीय समूहों के लोगों के साथ शांतिपूर्ण और सामंजस्य बिठाकर रह रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि वीगर क्षेत्र की जनसंख्या में 2015 और 2018 में 84 फ़ीसदी की गिरावट का जो दावा किया गया है वो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि पूरे शिंजियांग में वीगर की जनसंख्या बीते चार दशकों में दोगुनी हुई है।
चीनी राजदूत ने कहा, “चीन में वीगर मुसलमानों की बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी नहीं की जा रही है. सरकारी नीति इस तरह की प्रथा का कड़ा विरोध करती है।”
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