पुराना साल बीते, नया साल आए कोई लोहरी, कोई पोंगल कोई खिचड़ी मनाए रस्में हैं जो अपने खि़त्तों की, रिवाज़ है जो अपनी बस्ती के जलीकट्टू, बिहू ,ओणम तिलवा सब मनाएं। यह भी पढ़ें : ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता दुआ है ये ,”दुख का कोई लम्हा ना …
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यह कड़ाके की ठंड, बॉर्डर पे जवान बॉर्डर पे किसान
ये भी तबाह, वो भी परेशान लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से, जय जवान, जय किसान। यह कड़ाके की ठंड, बॉर्डर पे जवान बॉर्डर पे किसान किसानों की ये बदहाली और देश मेरा कृषि प्रधान लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से, जय जवान, जय किसान। रहनुमा हमारे बेजार हो कर …
Read More »जिंदगी शिकायतों का नाम है…………..
मंजिल करीब आएगी, गर होसलों में जान है उड़ने को जो तूं ठान ले, फिर तेरा आसमान है,, झूमती इतराती सी, इक मैक॒दे का जाम है जिन्दगी शिकायतों का नाम है। यह भी पढ़ें : धर्मांतरण विरोधी कानून अध्यादेश जारी होने के पहले के मामलों पर प्रभावी नहीं सुबह होते ही, ये …
Read More »ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता तिरे वा’दे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तिबार होता तिरी नाज़ुकी से जाना कि बँधा था अहद बोदा कभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तुवार …
Read More »नीलामी में बिकी मुस्लिम फकीर की पेंटिंग
तुर्की के एक विद्वान ने बुधवार को अनादोलु एजेंसी को बताया कि एक महत्वपूर्ण मुस्लिम फकीर की सत्रहवीं शताब्दी की पेंटिंग जर्मनी में एक डच-आधारित विद्वान को नीलामी में बेची गई थी। यह भी पढ़ें : ग्यारह विश्व नेताओं को फ्रेंड्स ऑफ ज़ीयोन अवार्ड 1651 की पेंटिंग, एक प्रमुख अलेवी धार्मिक …
Read More »सुबह सवेरे सूरज निकला
सुबह सवेरे सूरज निकला चिड़िया बोली, और दिन निकला राजा ने आंखें मली, और मुंह खोला, सोने का समय हुआ, दिन बीता रात हुई रानी बोली अभी तो अंधेरे की शुरुआत हुई, मंत्री बोले महाराज अभूतपूर्व यह बात हुई। नगाड़ा बजा रात का ऐलान हुआ यह देख मुर्गा बड़ा परेशान …
Read More »कौन थे गुलाम रसूल गलवान जिनके नाम पर है गलवान घाटी?
साल 1962 से लेकर 1975 तक भारत और चीन के बीच टकराव का मुख्य बिंदु गलवान घाटी रही है। गलवान घाटी पूर्वी लद्धाख में अक्साई चीन के इलाके में है। चीन वर्षों से इस पर पूरी बेशर्मी से अपना दावा जताता है। मई के पहले सप्ताह से ही इलाके में …
Read More »मजदूर की हाय
उपेक्षा की बला कभी टाली नहीं जातीगरीबों की हाय कभी खाली नहीं जाती स्वदेसी होकर जीया जो स्वदेस के लियेआज परदेसी हो गया वही देश के लिये घोषणाओं से कभी बदहाली नहीं जातीआँसुओ से मुसीबत संभाली नहीं जाती हो गयी हैं रक्त से रंजीत सड़कें बिरानीकैसे कहूँ दर्द से भरी …
Read More »रोज़ा कैसे रखती होगी
अब तलक तो वो भी, सेहरी कर चुकी होगी! दिल बेचैन हुआ जाता है, रोज़ा कैसे रखती होगी! धूप की तपिश ऐसी, प्यास को डाँटती होगी! अकेले तन्हा भला वो, वक़्त कैसे काटती होगी! ख़ुश्क लब जब होते होंगे, मेरे लबों को सोचती होगी! याद जब भी आती हो मेरी, …
Read More »जामिया में 1 जुलाई से होगी फाइनल ईयर की परीक्षा
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा एक से 31 जुलाई के बीच ऑफ लाइन आयोजित होगी। विश्वविद्यालय में आगामी सत्र में दाखिले के लिए 31 मई तक ऑनलाइन आवेदन पत्र भर सकेंगे। दाखिला प्रवेश परीक्षा एक अगस्त से शुरू होंगी। विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की बैठक बुधवार …
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