Sunday , October 1 2023

LITERATURE

‘इक नज़र का फ़साना है दुनिया’ : नुशूर वाहिदी

नुशूर वाहिदी उर्दू के मशहूर शायर, लेखक और डॉक्टर थे। उनका असली नाम हफ़िज़ुर्रहमान था। वाहिदी साहब की पैदाइश उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 15 अप्रैल 1912 को हुई। नुशूर साहब ने नज्म गजल के साथ मजाहिया शायरी भी की। नुशूर ने कम उम्र से ही कविताएं लिखना शुरू …

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उर्दू के कीट्स, शायर मजाज़ लखनवी

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक नज़्म गूंज उठी क्योंकि संस्थान ने 17 अक्टूबर को अपना संस्थापक दिवस मनाया। दुनिया भर के पूर्व छात्रों, जो खुद को ‘अलीग’ के रूप में गर्व से संबोधित करते हैं, ने “ये मेरा चमन, ये मेरा चमन” गाया। जब-जब मोहब्बत को पढ़ा, लिखा या नये …

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अब्दुर्रज्जाक गरनाह को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

तंजानिया में जन्मे अब्दुर्रज्जाक गरनाह को इस साल साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। 72 साल के गरनाह ने अपने लेख में उस यात्रा का दर्द उड़ेला है जो वह बतौर एक शरणार्थी तमाम जिंदगी करते रहे हैं। उपन्यासकार अब्दुर्रज्जाक गरनाह 35 साल से लिख रहे हैं। …

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पुस्तक मेले में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की शिरकत

मोती महल लॉन में चल रहे पुस्तक मेले के सातवें दिन भी साहित्यप्रेमियों का उत्साह देखा गया। इस दस दिवसीय पुस्तक मेले में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी भी शिरकत कर रही है। पुस्तक मेले में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी भी शिरकत कर रही है। यह भी पढ़ें  : मोदी को बचाने के …

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कौन सी रोटी किस बंदे के हाथ में दें….

पुराने जमाने में जब अरबों के यहाँ शादी होती, तो प्राचीन रिवाज के अनुसार, वे दावत में शामिल होने वाले मेहमानों को खिलाने के लिए रोटी के अंदर भुना हुआ गोश्त का एक टुकड़ा लपेट कर पेश करते थे। यह भी पढ़ें : प्राकृतिक गैस की खोज के भंडार के बारे …

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क्या नेहरू ख़ानदान मुसलमान है?

इस तरह की अफ़वाहों का खंडन करना बड़ा आसान है. कम शब्दों में ज़्यादा जानकारी आपको मिल सके यही कोशिश है. कोई ज़रा भी खोजना चाहे तो नेहरू की आत्मकथा के पहले अध्याय का पहला ही पेज खोल ले. नेहरू ने अपना वंश परिचय विस्तार में दिया है. ये भी …

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अल्लाह करे ये नया साल हर किसी को रास आए

पुराना साल बीते, नया साल आए कोई लोहरी, कोई पोंगल कोई खिचड़ी मनाए रस्में हैं जो अपने खि़त्तों की, रिवाज़ है जो अपनी बस्ती के जलीकट्टू, बिहू ,ओणम तिलवा सब मनाएं। यह भी पढ़ें : ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता दुआ है ये ,”दुख का कोई लम्हा ना …

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यह कड़ाके की ठंड, बॉर्डर पे जवान बॉर्डर पे किसान

ये भी तबाह, वो भी परेशान लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से, जय जवान, जय किसान। यह कड़ाके की ठंड, बॉर्डर पे जवान बॉर्डर पे किसान किसानों की ये बदहाली और देश मेरा कृषि प्रधान लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से, जय जवान, जय किसान। रहनुमा हमारे बेजार हो कर …

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जिंदगी शिकायतों का नाम है…………..

मंजिल करीब आएगी, गर होसलों में जान है उड़ने को जो तूं ठान ले, फिर तेरा आसमान है,, झूमती इतराती सी, इक मैक॒दे का जाम है जिन्दगी शिकायतों का नाम है। यह भी पढ़ें : धर्मांतरण विरोधी कानून अध्यादेश जारी होने के पहले के मामलों पर प्रभावी नहीं सुबह होते ही, ये …

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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता तिरे वा’दे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तिबार होता तिरी नाज़ुकी से जाना कि बँधा था अहद बोदा कभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तुवार …

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