भारत में किसी भी सरकार के राज में अन्नदाता इतने लंबे समय तक सड़कों पर विरोध के लिए नहीं उतरे। ऐसा सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में ही मुमकिन हो पाया। जिन्होंने किसानों की आय दोगुनी होने का दावा किया था।
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अपने दावे के विपरीत प्रधानमंत्री मोदी ने आज किसानों को सड़कों पर लाकर रख दिया है। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा खोले गए मोर्चे में अब देश भर के किसान संगठन शामिल हो चुके हैं।
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दिल्ली के साथ लगती सीमा पर बीते 19 दिनों से किसान अपनी मांगों पूरा करवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जहां आंदोलनरत किसानों को विपक्षी दलों का पूरा समर्थन मिल रहा है। भाजपा के कई नेता किसानों को खालिस्तानी करार दे रहे हैं।
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सोशल मीडिया पर किसानों को बदनाम करने के लिए झूठी जानकारियां फैलाई जा रही हैं। इसी बीच पंजाब के डीआईजी कारागार लखमिंदर सिंह जाखड़ ने किसानों के समर्थन में बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
अपने इस्तीफे में पूर्व डीआईजी लखमिंदर सिंह जाखड़ ने कहा है कि वह अपने किसान भाइयों के साथ खड़ा होने के चलते सोच समझकर यह कदम उठा रहे हैं।
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इस इस्तीफे में उन्होंने यह भी बताया कि मैं खुद भी पहले एक किसान हैं और मैंने हमेशा अपनी अंतरात्मा की सुनी है। मुझे यह लग रहा है कि मुझे अपने किसान भाइयों के साथ खड़े होने की जरूरत है।
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इस मामले में पत्रकार विनोद कापड़ी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने उन भाजपा नेताओं को मुंहतोड़ जवाब दिया है। जो किसानों को कभी खालिस्तानी तो कभी आतंकी बता रहे हैं।
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विनोद कापड़ी ने पंजाब के डीआईजी के इस्तीफे की खबर शेयर करते हुए लिखा है कि “तो किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफ़ा देने वाले ये IPS/DIG भी खालिस्तानी, नक्सली, माओवादी, आतंकवादी, चीनी -पाकिस्तानी एजेंट हैं ?”
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