तुर्की के सदर रजब तैयब एर्दोगान का ताजा दिया गया बयान सुर्खियां बटौर रहा है। एर्दोगन का बयान इसलिए भी अहम हो जाता है कि वह मुस्लिम देशों के प्रति नरम रवैया अपनाते है और दुनियाभर के मुस्लिमों के हक़ के लिए लड़ते है। उन्होंने अपने ताज़ा बयान में कहा है कि मुस्लिम समुदाय के लिए सम्प्रदायिकता पर आधारित विभाजन होना बड़े दुख की बात है। उन्होंने खाड़ी देशों के लिए एकता का आह्वान भी किया है।
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तुर्की की राजधानी अंकारा में प्रेसिडेंसी ऑफ रिलिजियस अफेयर्स की छठी धार्मिक परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए पश्चिम देशो में बढ़ते इस्लामोफोबिया की आलोचना की। एर्दोगान ने कहा कि प्रधानमंत्री और राष्ट्पति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुस्लिम देशों के साथ तुर्की के घनिष्ठ सम्बन्धो को आगे बढ़ाने वाले मुस्लिमों के बीच दोषपूर्ण लाइने नस्ल, भाषा, सम्प्रदाय और स्वभाव में अंतर को उजागर करने से बड़ी है।’
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यह कहते हुए उन्होंने आगे कहा कि तुर्की राष्ट्र कभी भी रशिदून खलीफाओं के बीच भेदभाव नही करता है। एर्दोगान ने कहा कि कुछ लोगो द्वारा शियावाद ओर सुन्नीवाद अलग धर्म के रूप में परिलक्षित होते है। यह कहते हुए साम्प्रदायिक औरर रुची आधरित दृष्टिकोण ने मुसलमानों को आम जमीन खोजने से रोका है।
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एर्दोगान ने जोर देकर कहा कि उम्म के हितों के ऊपर स्वहितो को देखने वाली समझ मुसलमानों के लिए कुछ भी नही है। आप को बता दे, बीते दिनों अमेरिका राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के बयान ने भी सुर्खिया बटौरी थी। ट्रम्प ने खुले तौर पर एर्दोगन की तारीफ करते हुए कहा था कि उसने अमेरिका की F35 बनाने में मदद की ।
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और इसके अलावा उसने उत्तरी सीरिया में अमेरिका सेना द्वारा बनाए गए बंकर को नष्ट करके अमेरिका की बड़ी मदद की है। बता दे, जब तुर्की ने उत्तरी सीरिया पर कुर्दो को सीमा से हटाने को लेकर एर्दोगन ने सेना भेजने का ऐलान किया था तो ट्रम्प ने धमकी देते हुए कहा था कि ‘तुर्की बाज़ आ जाए नही तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे’।
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