गुज़िश्ता रोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान करते बताया कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं क्षमा चाहता हूं कि कुछ किसान हमारी तपस्या को समझ नहीं पाए। आज गुरू नानक देव का पवित्र पर्व है, यह वक्त किसी को दोष नहीं का नहीं है। आज पूरे मुल्क को बताने आया हूं कि सरकार ने तीनों खेती कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है।
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केंद्र सरकार के ज़रिए लिए इस फैसले के बाद तमाम किसानों और अपोज़ीशन पार्टियों के नेताओं ने खुशी का इज़हार किया है। साथ ही सरकार पर भी हमला बोला है। इसी कड़ी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए सरकार के इस फैसला का स्वागत किया है।
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हम कृषि कानूनों की वापसी का स्वागत करते हैं,सरकार #CAA को भी वापस ले,किसानों को इस तरह के शक्तिशाली आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ चलाए गये आंदोलन से मिला,इस निर्णय ने साबित कर दिया कि लोकतंत्र और जनता की ताक़त सर्वप्रिय है और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) November 19, 2021
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मौलाना अरशद मदनी ट्वीट करते हुए कहा कि हम खेती कानूनों की वापसी का स्वागत करते हैं, सरकार #CAA को भी वापस ले, किसानों को इस तरह के शक्तिशाली आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ चलाए गये आंदोलन से मिला, इस फैसले ने साबित कर दिया कि लोकतंत्र और जनता की ताक़त सर्वप्रिय है और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
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मौलाना मदनी ने कहा कि एक बार फिर हकीकत सामने आई है कि अगर किसी जायज़ मक़सद के लिए ईमानदारी और सब्र से आंदोलन चलाया जाए तो उसमें कामयाबी जरूर मिलती है।