इख्लास सभी इबादतों की आत्मा-मुफ्ती किताबुद्दीन

रायबरेली (इम्तियाज अहमद खान) । शहर की मुमताज व मशहूर मरकजों दर्सगाह मरकजे अहले सुन्नत दारूल उलूम हबीबिया गुलशने रजा लिलबनात का 8वां वार्षिक समारोह ‘जश्ने खत्मे बुखारी शरीफ‘ व रस्में रिदाये फजीलत व किरात का बहुत भव्य आयोजन नई बिल्डिंग मरकजे अहले सुन्नत दारूल उलूम हबीबिया गुलशने रजा लिलबनात, अनवर नगर में हुआ। छात्रा सना रहमत ने कुरान के पाठ से आयोजन का शुभारम्भ किया। आलिमा फाजिला इकरा इकरा बानो ने संचालन किया। दारूल उलूम की छात्राएं सना आलम, खुशमीन बानो, जैनब, रूबीना, शबनम खातून, खुशबू बानो, साहिबा बानो ने हम्द बारी व मुनाजात पेश किया। उसके बाद इरम नूर, उमैरा खातून, उम्मे कुलसूम और जेबा जीनत ने उर्दू, अरबी, अंग्रेजी भाषा में वकतव्य पेश किया और मजहबी प्रोग्राम पेश किया। जिसे देख और सुनकर महिलाएं बेहद खुश हुई। आलिमा फाजिला बुशरा अनीस कुरैशी ने प्रारम्भिक भाषण दिया, जिसे खूब पसंद किया गया। उसके बाद टाटा जमशेदपुर से तशरीफ लायी आलिमा फाजिला खतीबा फरजाना खातून साहिबा ने खिताब किया और कहा कि शिक्षा मनुष्य का आभूषण है, मजहबे इस्लाम ने शिक्षा प्राप्त करने में मर्द और औरत में कोई फर्क नहीं किया, क्योंकि इस्लाम दोनों को इन्सानी समाज का हिस्सा समझता है।

इसके बाद हजरत मौलाना मुफ्ती किताबुददीन साहब ने हदीस की मशहूर किताब बुखारी शरीफ की आखिरी हदीस दारूल उलूम लिलबनात से फारिग होने वाली छात्राओं को पढ़ाकर बुखारी शरीफ पूरी करायी और कहा कि दुनिया व आखिरत की असली चाभी एख्लास व नियत है और सभी इतादात की असली आत्मा भी एख्लास है।
इसके बाद रस्में रिदाये फजीलत व किरात का काम हुआ और दारूल उलूम लिलबनात से 32 से ज्यादा फारिगात को मखदूमा आले रसूल साहिबा, सरवरी बेगम साहिबा और दीगर मुअल्लिमात के हाथों सनद व चादर, गुलपोशी की गयी और परीक्षा में प्रथम, द्वितीय, तृतीय आने वाली छात्राओं को ईनाम दिये गये। आखिर में दारूल उलूम के सरपरस्त हजरत अल्लामा मौलाना सैयद मो0 अहमद अशरफ जीलानी जायसी साहब ने कहा कि खत्म बुखारी शरीफ की महफिल की बरकत से हर नेक और जायज दुआ कुबूल होती है। अपने आये हुये मेहमानों और शिक्षा पूरी कर चुकी छात्राओं का शुक्रिया अदा करते कहा कि माॅ बाप बहुत ही धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने अपनी बेटियों को हम पर भरोसा कर हमारे हवाले किया और आज की फारिगात कल समाज का भविष्य बनेगी। आप की दुआ पर जलसे का समापन हुआ।
कार्यक्रम में शहर व आसपास की लगभग 5000 से ज्यादा महिलाओं ने शिरकत की। आयी हुयी महिलाएं छात्राओं की मेहनत, अध्यापिकाओं की सेवा, लिलबनात के सरपरस्त सैयद साहब की नवाजिश, प्रबन्धक हाफिज अनीस अहमद कुरैशी की मेहनत, लगन, कुर्बानी व सेवा भाव से बहुत प्रभावित हुई।
इस मौके पर मौलाना तसव्वर, मुफ्ती फैयाज, मुफ्ती महमूद, कारी नौशाद, हाफिज सुहैल अख्तर काजी शहर, हाफिज नौशाद, हाफिज मुमताज, हाफिज बहाउददीन, हाफिज वली मोहम्मद, हाफिज मो0 कमर रजा, हाफिज मो0 मुश्ताक, हाफिज मो0 इमरान के साथ साथ बहुत से लोगों ने शिरकत किया।