उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपना दल ने अपने पहले उम्मीदवार का ऐलान किया है। अपना दल ने रामपुर की स्वार सीट से हैदर अली खान (हमजा मियां) को उम्मीदवार बनाया है। खास बात ये है कि हैदर अली खान के पिता नवाब काजिम अली खान कांग्रेस के ही टिकट पर रामपुर से चुनाव लड़ रहे हैं।
हैदर अली खान एनडीए के पहले मुस्लिम उम्मीदवार भी हैं। हैदर अली खान का यह पहला चुनाव है। इसमें उनका सामना आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम से होगा। समाजवादी पार्टी इस सीट से अब्दुल्ला आजम को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है। अब्दुल्ला आजम ने 2017 में स्वार सीट पर हैदर के पिता काजिम अली को हराया था।
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हैदर अली खान रामपुर के नवाबी खानदान से हैं। हैदर अली खान उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने अपना दल की अनुप्रिया पटेल से मुलाकात की थी। हालांकि, इससे पहले हैदर अली खान को कांग्रेस ने स्वार से प्रत्याशी बनाया था। लेकिन उन्होंने चुनाव से पहले ही अपना दल का दामन थाम लिया और अब चुनाव मैदान में हैं।
हैदर अली खान के पिता नवाब काजिम अली खान इस बार कांग्रेस के टिकट पर रामपुर की दूसरी सीट से चुनाव मैदान में हैं। नवाब काजिम अली चार बार विधायक रहे हैं।
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हैदर अली खान 31 साल के हैं। उन्होंने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स से ग्रेजुएशन किया है। हैदर अली खान का ये पहला चुनाव है। हालांकि, वे 2014 लोकसभा चुनाव और 2012 और 2017 विधानसभा चुनाव में अपने पिता का चुनावी अभियान संभाल चुके हैं।
हैदर अली का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अपना दल (एस) का दामन इसलिए थामा, क्योंकि उन्हें जनता के हित में काम करना था। हैदर अली खान राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं। हैदर अली खान कहते हैं, ‘मेरे परिवार के बनाए लालपुर पुल को सपा सरकार में आजम खान ने पैसे के लिए तुड़वा दिया था। इसमें लगे लोहे और अन्य चीजों को कौड़ियों के भाव बेच दिया। ये पुल रामपुर के ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ता था। योगी सरकार बनने के बाद मैंने सरकार से कहा तो दोबारा ये पुल बन रहा है।
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इतना ही नहीं हैदर अली खान सीएम योगी के कामों से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, पुल का काम दोबारा शुरू करवाते वक्त मुझे एहसास हुआ कि यही सरकार लोगों के लिए काम कर सकती है। उन्होंने कहा, जिस तरह से अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल काम कर रही है, इससे मैं प्रभावित हुआ हूं। अनुप्रिया ने पिछड़ों के लिए काम किया है। उन्होंने कहा, सभी योजनाओं का लाभ यूपी में मुसलमानों को मिला है। ऐसे में मुसलमान एनडीए का साथ देगा।
रामपुर की राजनीति में आजम खान का वर्चस्व रहा है। वे खुद रामपुर की सीट से 9 बार के विधायक हैं। वहीं, वर्चस्व के बेटे अब्दुल्ला आजम ने भी रामपुर की स्वार सीट से जीत हासिल कर राजनीति में एंट्री की थी। हालांकि, बाद में गलत एफिडेविट की वजह से विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गई। ऐसे में वे एक बार फिर इस सीट से चुनाव मैदान में होंगे। लेकिन इस बार हैदर अली खान की एंट्री के बाद मुकाबला काफी कड़ा माना जा रहा है। दरअसल, 2017 में इस सीट पर बीजेपी दो नंबर पर रही थी। वहीं, हैदर अली के पिता काजिम अली भी तीन बार स्वार सीट से और एक बार बिलासपुर सीट से विधायक रहे। ऐसे में रामपुर के नवाब परिवार और आजम खान परिवार के बीच बड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।
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स्वार सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुए थे। स्वार सीट कभी बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी। यहां 1989 से बीजेपी के शिवबहादुर सक्सेना 2002 तक चार बार विधायक रहे। लेकिन बाद में ये पार्टी रामपुर के नवाबी खानदान का गढ़ बन गई। इस सीट से नवाब कासिम अली 2002 से 2017 तक लगातर तीन बार विधायक रहे। लेकिन 2017 में उन्हें अब्दुल्ला आजम के सामने हार का सामना करना पड़ा।