लखनऊ (जमाल मिर्ज़ा) । लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है और इसलिए कहा जाता है कि यहां पर अनेक इमारतें ऐसी हैं जो कि विश्व प्रसिद्ध है इन इमारतों के साथ ही साथ मस्जिद इमामबाड़ा आदि के निर्माण किए गए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इबादत कर सकें। इन नवाबों के उत्तराधिकारी इमामबाड़ा मस्जिद आदि की देखरेख करते थे। जब वसीम रिजवी को चेयरमैन पद से हटाया गया और नए चेयरमैन अली जैदी साहब चुने गए उसके बाद से आशा की एक नई किरण पैदा हुई कि अब इमामबाड़ा और मस्जिदों की हालत अच्छी होगी। चेयरमैन बदलने के साथ ही इमामबाड़ा के मुतवल्ली के बदलने का सिलसिला शुरू हो गया। जिन्होंने भी मुतवल्ली बनाएं वह सब अच्छे हैं पर उन्होंने अपने आसपास के लोगों को ही चुना।
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मुतवल्ली बनाने के लिए पर उन्होंने उन लोगों पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जिनके पूर्वजों ने यह इमामबाड़ा मस्जिद और हिस्टोरिकल इमारतें बनाई। उनके वंशजों को मुतवल्ली बनाने में अनदेखी की गई। यहां तक की इनकी एक कमेटी बनी है जिसका नाम शान ए अवध ट्रस्ट कमेटी है। उससे भी राय मशवरा नहीं लिया गया और एक तरफा अपने करीबियों को और जान पहचान वालों को जहां तक उनकी नजर जा सकती थी सबको मुता वल्ली बनाया। जहां के वह मूतवल्ली बने हैं उनको यह समझ लेना चाहिए कि जिनको वह अनदेखा कर रहे हैं उन्हीं के पूर्वजों ने ही यह बनाया है। जमाल मिर्जा मीडिया प्रभारी शान ए अवध ट्रस्ट कमेटी की ओर से यह अपील करना चाहता हूं की चेयरमैन और उनकी यूनिट के लोग इस बात का भी ध्यान रखें की रॉयल फैमिली को भी इसमें बराबर की हिस्सेदारी दी जाए ऐसा जमाल मिर्ज़ा का मानना है।