पाकिस्तान में हुए एक हालिया हमले में अल्पसंख्यक शिया हजारा समुदाय के 11 लोगों की हत्या करने की घटना की वरिष्ठ ईरानी धर्मगुरु अयातुल्ला नासिर मकरेम शिराज़ी ने निंदा की है। ईरानी धर्मगुरु अयातुल्ला ने इमरान खान सरकार से मांग की है कि वह अहल उल-बेत (एएस) के अनुयायियों पर हो रहे हमले और हत्या को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाये।
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8 जनवरी को IRNA ने धर्मगुरु का हवाला देते हुए बताया कि उनका कहना है कि बलूचिस्तान में हुए हालिया हमले ने कुरान के सभी अनुयायियों, पवित्र पैगंबर (PBUH) और दुनिया भर में उनके मानने वालों को दुखी किया है और उनमें गुस्सा भर गया है. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में ताकफिरी समूहों द्वारा लगातार किये जा रहे अपराधों और इस इस्लामी भूमि में अहल उल-बेत (एएस) के अनुयायियों की जानबूझकर की जा रही हत्याओं ने मुझे और उन सभी को दुखी और प्रभावित किया है, जो धर्म में यकीन रखते हैं।
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ईरानी धर्मगुरु अयातुल्ला ने कई दशकों से हो रहे इस तरह के अपराधों को सरकार की नाकामी बताते हुए कहा कि हालाँकि अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की शुरुआत के कई दशक बीत चुके हैं लेकिन दुर्भाग्य से सरकार और इस देश के न्यायिक, सैन्य और सुरक्षा संगठन इस बड़े संकट पर कभी अंकुश नहीं लगा पाए और हर दिन नई हत्याओं और आतंकवादी अभियानों की बुरी खबरें सामने आती है।
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3 जनवरी 2021 को क्वेटा के पास माछ शहर में अज्ञात बंदूकधारियों नेने खनन कर्मचारियों को घर से काम पर जाते समय अगवा कर लिया। उन सभी कर्मियों को इस दौरान पास की एक पहाड़ी पर ले जाया गया और बाद उन्हें गोली मार दी गई। ये सभी हज़ारा समुदाय के लोग थे जो पाकिस्तान के शिया अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य हैं। इस्लामिक स्टेट ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। शिया समुदाय के लोग पिछले छह दिनों से खनिकों की हत्या का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और मारे गए मजदूरों को दफ़ना नहीं रहे थे। छह दिन बाद सरकार से बातचीत के बाद इन मजदूरों को अंततः दफनाया गया।
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बलूच रिपब्लिकन पार्टी ने कहा कि इमरान खान सरकार जानबूझकर बलूच, हज़ारों, सिंधियों और अल्पसंख्यकों की आवाज़ को अनसुना कर रही है। बलूच रिपब्लिकन पार्टी के प्रवक्ता शेर मोहम्मद बुगती ने एक ट्वीट में कहा कि 11 हजारा लोगों की निर्मम हत्या का ताजा मामला पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अराजकता और उत्पीड़न का एक और प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इमरान खान सरकार जानबूझकर बलूच, हज़ारों, सिंधियों और अल्पसंख्यकों की आवाज़ को अनसुना कर रही है जो सिर्फ गरिमामाय शांतिपूर्ण जीवन चाहते हैं।
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