अत्याचार के ख़िलाफ़ महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन
त्रिपुरा राज्य में शरारती तत्वों द्वारा मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और हिंसा के ख़िलाफ मजलिसे-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी ने पत्र लिख कर विरोध जताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर दोषियों के ख़िलाफ सख़्त कार्रवाई और अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की हैं।
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मौलाना द्वारा लिखे गए पत्र में लिखा हैं कि त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय उपद्रवियों के अत्याचार और बर्बरता से दहशत की स्थिति में है लेकिन त्रिपुरा सरकार और प्रशासन द्वारा कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई। जिस तरह से त्रिपुरा में मुसलमानों के घरों, इबादतगाहों उनकी जान व माल और महिलाओं की इज़्ज़त को निशाना बनाया हैं वह अफसोसजनक और निंदनीय है। पिछले एक सप्ताह में त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों में शरारती तत्वों ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों को खौफज़दा करने का हर संभव प्रयास किया है। उनके घरों में आग लगा दी गई।
मस्जिदों पर हमला कर अपने संगठनों के झंडे मस्जिद के मीनारों पर लगाये गए, उनके घरों पर पथराव किया गया और घरों से बाहर निकलते समय लोगों को मारा गया। खासकर उनाकोटी, पश्चिम त्रिपुरा, सिपाही जाला और गोमती त्रिपुरा जिलों में मुसलमानों के ख़िलाफ भयानक अत्याचार और बर्बरता जारी हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक त्रिपुरा सरकार द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय और भी दहशत में हैं।
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वही कांग्रेस के नादिर सलाम ने अत्याचार के ख़िलाफ़ महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दे कर राज्य सरकार के संरक्षण में पिछले कई दिनों से त्रिपुरा में मुस्लिम समुदाय के लोगों, मस्जिदों और मजारों के क्षतिपूर्ति की मांग की।
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उन्होंने कहा की राज्य की भाजपा सरकार और पुलिस का रवैया हिंसा को प्रश्रय देने वाला रहा है। जिसके कारण पूरे प्रदेश में भय और अराजकता का माहौल बना हुआ है। हम माँग करते है कि-
त्रिपुरा सरकार को निर्देशित करें कि वह अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए हिंसा करने वाले संगठनों और लोगों के खिलाफ़ क़ानूनी कार्यवाई करे।
- हिंसा के दौरान अपनी ज़िम्मेदारियों को न निभाने, हिंसा को उकसाने व मूक दर्शक बने रहने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनकी आपराधिक संलिप्तता की विभागीय जाँच कराई जाए।
- सरकार पीड़ित मुसलमानों को हुए आर्थिक नुकसानों की क्षतिपूर्ति करे।
- आगजनी की शिकार मस्जिदों और मजारों का सरकार पुनर्निर्माण कराए।
- सोशल मिडिया पर मुसलमानों के खिलाफ़ नफ़रत भरे संदेश प्रसारित करने वाले संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ़ क़ानूनी कार्यवाई सुनिश्चित किया जाए।