पुराना साल बीते, नया साल आए
कोई लोहरी, कोई पोंगल कोई खिचड़ी मनाए
रस्में हैं जो अपने खि़त्तों की, रिवाज़ है जो अपनी बस्ती के
जलीकट्टू, बिहू ,ओणम तिलवा सब मनाएं।
यह भी पढ़ें : ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
दुआ है ये ,”दुख का कोई लम्हा ना किसी के पास आए
अल्लाह करे ये नया साल हर किसी को रास आए,
चकरी सी दुनिया ,पतंग सी जिंदगी , में सर्द हवाएं
अब और ना उलझे ,ना किसी मंझे से कट जाए
ख्वाबों से ऊंची , आसमानों में उड़ती चली जाए
अल्लाह करे ये नया साल हर किसी को रास आए।
यह भी पढ़ें : वेब सीरीज तांडव को लेकर चर्चा में हैं सैफ अली खान
बीते साल बहुत दुश्वारी थी, बेबस थे अच्छे-अच्छे,बहुत लाचारी थी
इंसान की दुनियांवी तरक्की, इक नन्हें वायरस से हारी थी
किसी तरह कट जाए बुरा वक्त, यह सोचकर पूरी दुनिया हारी थी
दुआ है यह कि मुफ़लिसी का कोई लम्हा न किसी के पास आए
अल्लाह करे यह नया साल हर किसी को रास आए।
यह भी पढ़ें : मुस्लिम धर्मगुरुओं के डेलिगेशन ने अजीत डोभाल से की मुलाकात
अब की तबीयत सभी की बहाल रहे
हर किसी को अपनों का ख्याल रहे
यही तरबियत हम सभी की हो, हर किसी को ये ख़्याल आए
दुआ है कि दर्द के लिए मरहम बनके ये साल आए
सरकार वैक्सीन के साथ लोकतंत्र का टीका भी लाए
अल्लाह करे यह नया साल हर किसी को रास आए।
सारा
Please Subscribe-
Facebook
WhatsApp
Twitter
Youtube
Telegram