पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव पर सबकी नज़रे लगी हुई है, इसमें भाजपा और तृणमूल कांग्रेस शामिल है। बेहतर करने की होड़ के साथ-साथ दोनों ही पार्टी एक दूसरे को हराने की पूरी कोशिश में लगी हैं। दो बार ममता बनर्जी यहां पर जीत का ताज पहना था, तो इस बार भी जीतना उनके लिए शान की बात होगी। ममता की पश्चिम बंगाल में धाक जमाए हुए है, तो बीजेपी भी वहां अपनी राह बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।
यह भी पढ़ें : 23 फरवरी जब दंगाइंयों ने जमकर मचाया था उत्पात
भाजपा के पास पश्चिम बंगाल में खोने के लिए कुछ नहीं है, वो केवल ममता सरकार को वहां से हटाना चाह रही है। इस कंडीशन में पश्चिम बंगाल में चार बड़ी पार्टियां दिखाई दे रही है, जिनमें टीएमसी, भाजपा, वाम दल और कांग्रेस शामिल है, इनके बावजूद मुकाबला केवल भाजपा और टीएमसी में ही है, लेकिन सुत्रों के हवाले से पता लगा है कि एक और पार्टी इसमें एंट्री लेने वाली है और वो पार्टी है असदुद्दीन औवेसी की एआईएमआईएम।
यह भी पढ़ें : सीमा से सटे इन गांवों को मिलेगा सरकारी नौकरी में आरक्षण
बिहार से प्राप्त सीटों के आधार पर अब औवेसी पश्चिम बंगाल में अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहते हैं। इस तरह देखा जाए तो आगामी चुनाव में यहां मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह और शिवाजी सरकार का ऐसा कहना है कि बिहार से लगती सीमा के निकट जो विधानसभा क्षेत्र हैं, वहां पर औवेसी का बोलबाला हो सकता है।
यह भी पढ़ें : अल्पसंख्यक छात्रों को मिली छात्रवृत्ति की सौगात
फुरफुरा और इसके आसपास के क्षेत्रों में मुस्लिम लोगों को लगता है कि औवेसी उनके नेता हैं। खोने के लिए भी उनके पास कुछ नहीं है। इस मामले में प्रदीप सिंह का कहना है कि पहले पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में इनके वोटों पर टीएमसी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन इस बार इसमें सेंध लगाने में औवेसी सफल हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें : गुलाम नबी आजाद का वेलकम करती दिखी बीजेपी
ओवैसी का इस चुनाव में आना सीधे सीधे भाजपा को फायदा पहुंचाएगा। इसकी वजह ये मानी जा रही है कि भाजपा को राज्य में पहले भी मुस्लिम वोट कम या न के ही बराबर मिलते थे और अब भी भाजपा मुस्लिम्स से सपोर्ट ना मिल पाता, लेकिन अब चुनाव में औवेसी के आने के बाद वोटों का बंटवारा जिस तरह से देखने को मिलेगा उसमें ममता सरकार को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें : मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कही बड़ी बात, नही थी उम्मीद
टीएमसी के वोट औवेसी को कारण कटेंगे, जिसका सीधा फायदा भाजपा को हो जाएगा। प्रदीप सिंह की सलाह से ही भाजपा ने यहां पर राज्य सरकार की तुष्टीकरण की नीति के खिलाफ आवाज बुलंद की है, इसलिए पार्टी की निगाह हिंदू वोट बैंक पर है। देखा जाए तो औवेसी भाजपा के लिए मायने नहीं रखते हैं। वो केवल मुस्लिम बहुल इलाके तक सीमित हैं।
Please Subscribe-
Facebook
WhatsApp
Twitter
Youtube
Telegram