लखनऊ (तौसीफ़ क़ुरैशी) । सच्चाई के रास्ते चलना कितना कठिन होता है इसका जीता जागता उदाहरण गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में तैनात रहे बच्चों के विशेषज्ञ डाक्टर कफ़ील खान के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार से साफ़ पता चलता है तमाम तरह की जाँचों में पाक साफ़ साबित होने के बावजूद सरकार की हठधर्मीता साफ दिखाई दे रही है। डाक्टर कफ़ील खान के साथ हो रही इस नाइंसाफ़ी के विरूद्ध यूपी आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) का साथ मिला है।
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यूपी आईएमए ने यूपी सरकार के श्री सुरेश खन्ना , मेडिकल एजुकेशन मंत्री को पत्र लिख कर डाक्टर कफ़ील खान के निलम्बन को तत्काल रद्द कर उनकी बहाली माँग की है।क्या यूपी सरकार को यूपी आईएमए के पत्र के बाद अपनी हठधर्मीता पर शर्म आएगी और ना हक परेशान किए जा रहे डाक्टर कफ़ील खान का निलंबन रद्द कर उनको जनसेवा का मौक़ा दिया जाएगा।
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डाक्टर कफ़ील खान पिछले 3 सालों में 9 अलग-अलग जाँच समिति की रिपोर्ट और उच्च न्यायालय से चिकित्सा लापरवाही और भ्रष्टाचार पर क्लीन चिट मिलने के बावजूद निलम्बित हैं।अन्य सभी डाक्टर, जिन्हें उनके साथ निलम्बित कर दिया गया था, को बहाल कर दिया गया है।
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9 विभिन्न जाँच समितियां जिन्होंने बारीकी से जांच की –
1-जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
2-आयुक्त, गोरखपुर जोन, उत्तर प्रदेश।
3-महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा, उत्तर प्रदेश।
4-एसजीपीजीआई, लखनऊ ,उत्तर प्रदेश।
5-अगस्त 2017 को केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफदरगंज अस्पताल की टीम भेजी थी अपनी रिपोर्ट दी।
6-मुख्य सचिव मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश।
7-उच्च न्यायालय ने सितम्बर 2017 में जांच पूरी की।
8-विभागीय जांच प्रमुख सचिव स्टाम्प और पंजीकरण श्री हिमांशु कुमार द्वारा 18 अप्रैल 2019 को प्रस्तुत की गई।
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डा कफील खान ने अधिकारियों को 25 से अधिक पत्र लिख कर अपना निलम्बन रद्द करने का अनुरोध किया है। रासुका निरस्त होने के बाद उन्होंने 18 सितम्बर 2020 / 13 अक्टूबर 2020 / 6 नवम्बर 2020 को लिखा है।
डाक्टर कफ़ील खान ने आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन), आइएपी (इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स), एनएनएफ़ (नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम), पीएमसएफ़ (प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम) और एमएससी (मेडिकल सर्विस सेंटर) को पत्र लिख कर अपने निलम्बन को ख़त्म कराने में मदद माँगी थी
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उनका कहना है कोरोना वायरस महामारी और डाक्टरों की अत्यधिक कमी को देखते हुये उन्हे देश की सेवा का मौक़ा दिया जाए।
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