दुनिया भर के मुसलमान इन दिनों माह-ए-रमजान मना रहे हैं और इस्लामिक विद्वानों का कहना है कि जो लोग सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं वे आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ के साथ-साथ आध्यात्मिक अनुभव भी प्राप्त करते हैं। उनके के मुताबिक अपने पास भोजन रखने के बावजूद, रोजा रखने वाले भूखे-प्यासे रहते हैं और उन लोगों में शामिल होते हैं जिनके पास भोजन नहीं है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पूरे दिन भूखे रहने से हमारा शरीर ٖइफ्तार के दौरान भोजन को स्टोर करने के मूड में रहता है। ऐसी स्थिती में जब हम इफ्तार के लिए बैठते है तो जल्दी जल्दी जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं और यही हमारे लिए नुकसानदेह होता है। डॉक्टरों के मुताबिक इस समस्या का हल धीरे-धीरे खाना और तले और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना है।
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डॉक्टरों के अनुसार, माह-ए-रमजान के दौरान पानी का उपयोग मौसम के अनुसार किया जाना चाहिए और मानव मूत्र पानी के रंग का हो। पीले मूत्र का मतलब है कि व्यक्ति कम पानी पी रहा है। डॉक्टर सेहरी में रोटी उपयोग करने की सलाह देते हैं। दलिया या किसी अन्य अनाज का उपयोग हमें लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। उसके के अलावा मछली, मुर्गी, अंडे और दूध का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ साथ फल और खजूर भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
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इफ्तार के लिए कई तरहे के मेवे और मुख्तलिफ किस्म के फलों का इस्तेमाल किया जा सकता है। चना के भी उपयोग कर सकते हैं। लेकिन इसमें चीनी, नमक और तेल का का इस्तेमाल ना किया जाए। इफ्तार और डीनर के बीच वक्फा जरूर करें ताकि आपकी इब्तिदाई भोक मिट जाए। अगर खाना खाएं तो ज्यादा न खाए ताकि हमारा वज़न भी हद में रहे और हम सेहतमंद रहें।