चुनावों से ठीक पहले मायावती ने मुस्लिमों को मैदान में उतार दिया है। ऐसा लग रहा है कि इस बार पिछले चुनाव के रिकॉर्ड को भी बसपा ध्वस्त कर देगी। आपको बता दें कि अभी तक बसपा ने कुल 403 सीटों में से 225 सीटों पर अपने कैंडिडेट घोषित किये हैं। इनमें से 60 सीटों पर उन्होंने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। यानी अभी तक कुल 26 फीसदी सीटें मुस्लिमों को दी हैं।
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हालांकि इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में मायावती ने कुल 403 सीटों में से 99 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट लड़ाए थे। जो कि 24 फीसदी थे। हालांकि 99 में से केवल 5 ही जीत पाए थे। ऐसे में अब देखना यह होगा कि इस बार चुनावों में क्या नतीजे सामने आते हैं।
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रिकार्ड के मुताबिक 2017 में बसपा के 99 मुस्लिम कैंडिडेट में से सिर्फ 5 ही जीत पाये थे। ऐसे में फिर से वही दांव चलकर मायावती क्या रणनीति तैयार कर रही है वह तो वक्त ही बताएगा। मायावती को भाजपा से ज्यादा सपा से सियासी खतरा रहता है। मायावती को हमेशा डर रहता है कि उसका वोट बैंक टूटकर सपा में जा सकता है। इस बार तो अखिलेश ने उनके दलित वोटबैंक में सेंधमारी की भरपूर कोशिशें भी की हैं।
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आंकड़ों की माने तो 2017 के चुनाव में बसपा को सपा से कम सीटें जरूर मिली थीं। लेकिन उसका वोट प्रतिशत उससे ज्यादा था। बसपा को 22.23 फीसदी और सपा को 21.82 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में मुस्लिम वोट बैंक चाहे जितना भी सपा के तरफ दिख रहा हो, लेकिन बसपा के मुस्लिम कैंडिडेट को कुछ तो वोट मिलेंगे ही। यही सपा के लिए नुकसानदायक साबित होंगे।