
Accredited Journalist
राज्य मुख्यालय लखनऊ। सबका ख़ुलूस सबकी इनायत हमें मिली हम ख़ुश नसीब है कि मोहब्बत हमें मिली और वो मुसलमान थे जिन्हें CAA के विरोध करने पर आतंकवाद से जोड़ दिया गया था हम तो किसान है हमारे साथ यह खेल नहीं चलेगा हमने बहुत सरकारें बनाईं है और बहुत सरकारें हटाईं है सरकारें हम से है हम सरकारों से नहीं हमें बड़े-बड़ों को सीधा करना आता है। देश का किसान आर-पार लड़ाई लड़ने की तैयारी में क्या मुक़ाबला कर पाएगी मोदी सरकार या पीछे हटेंगी ? अड़ानी अंबानी समूहों के हक में किसानों के लिए बने तीनों विवादित क़ानूनों के बाद आंदोलनरत किसान शायद इन्हीं अल्फ़ाज़ों से अपनी बात कहना चाह रहे हैं हालाँकि मोदी सरकार एवं RSS ने बहुत कोशिश की किसी तरह किसानों के आंदोलन को खालिस्थान से जोड़ दिया जाए लेकिन मोदी सरकार और संघ परिवार की हर कोशिश नाकाम साबित हो रही हैं।
यह भी पढ़ें : कई संगठनों ने सीएए के विरोध में फिर से किया प्रदर्शन
यह भी पढ़ें : पूर्व विधायक वसीम अहमद का लखनऊ में हुआ इंतकाल
सरकार और किसानों के बीच अब तक हुई कई दौर की वार्ता से कोई हल निकलता नहीं दिखाई दे रहा है उसकी सबसे बड़ी वजह मोदी सरकार का अपने बड़े उद्योगपतियों के हितों का ध्यान रखना हो सकता है किसानों का कहना है कि मोदी सरकार को बनाईं जनता एवं किसानों ने लेकिन मोदी सरकार की वरीयता में जनता है ना किसान वह तो अड़ानी अंबानी समूहों का पेट भरने के लिए काम कर रही हैं इसकी वजह अड़ानी अंबानी समूहों ने चुनावों में पैसों से बहुत मदद की है जिसकी बुनियाद पर सरकार में आने के बाद उसी क़र्ज़ की अदायगी की जा रही हैं। विपक्ष के आरोपों के बीच यह बात अब आमजन में होने लगी है। हो सकता है आमजन और किसानों की यह आशंका सही हो या ग़लत भी हो सकती है लेकिन ज़बानें खल्क को नक्कारे ख़ुदा कहा जाता है।
यह भी पढ़ें : एएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटिकल साइंस ने मनाया मानवाधिकार दिवस
अड़ानी अंबानी समूहों के द्वारा बड़े पैमाने पर इस क़ानून को ध्यान में रखते हुए काम किए हैं एक ने वेयर हाउस बना लिए हैं तो दूसरे ने रिटेल में कदम बढ़ा लिए हैं। मोदी सरकार चाहें जितनी सफ़ाई दें कि यह क़ानून किसानों की भलाई के लिए बनाए गए हैं अड़ानी अंबानी समूहों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए नहीं है। जिसके बाद किसानों और आमजन की आशंकाओं को बल मिल रहा है मोदी के दोनों उद्योगपति मित्रों ने अलग-अलग राह चुन ली है किसानों को नोच-नोच खाने की, एक ने रिटेल स्टोर में कदम बढ़ा दिए हैं तो दूसरे ने बड़े-बड़े गोदाम बना कर खड़े कर लिए हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कमर पर हाथ फेरने वाले मुकेश अंबानी ने अगस्त 2020 में किशोर बियानी की कम्पनी “फ्यूचर ग्रुप” की मुनाफे में चल रही रिटेल चेन का अधिग्रहण 24,713 करोड़ रु में कर लिया। बिल पेश होने से पहले ही देशभर में अड़ानी समूह के लाखों टन भंडारण की क्षमता वाले बड़े-बड़े गोदाम बन गए। एग्रो कम्पनी बन गयी। आई ना क्रोनोलॉजी समझ में या अभी भी भक्ति के भाव में बह रहे हो यहाँ यह भी याद रखना होगा कि किसान यह लड़ाई सिर्फ़ अपने लिए नहीं लड़ रहा है इन क़ानूनों के अमल में आ जाने के बाद आमजन भी प्रभावित होगा जब मोदी के उद्योगपति मित्रों का एंटर बजेगा वह नहीं देखेगा कि यह कौन है हाँ यह बात सही है पहला टारगेट किसान होगा उसका फिर आमजन तो इस ख़ुशफ़हमी में रहने की क़तई ग़लती ना करना कि यह लड़ाई किसानों की है।
यह भी पढ़ें : दो सिपाहियों पर महिला का शारीरिक शोषण करने का आरोप
क़ानून बना अब और यह दोनों धन्नासेठ एक साल पहले से ही किसानों को ग़ुलाम बनाने की कोशिशों में लगे हुए हैं अब सवाल उठता है कि इन्हीं मित्रों को क्यों पहले ही ख़्याल आ जाता है चाहे नोटबंदी हो या कुछ और हर काम की सुई इन्हीं की तरफ़ क्यों घूमती रहती हैं मोदी सरकार आने के बाद यह दोनों उद्योगपति सरकार की मिलीभगत से कहाँ से कहाँ पहुँच गए जनता को लुटकर इन दोनों में से एक के भाई को दिवालिया होने के बाद भी राफ़ेल जेट का ठेका दिलाकर देश के ख़ज़ाने से तीस हज़ार करोड़ रुपये दिए गए थे सरकारी कंपनी HAL को पीछे धकेलते हुए जिसे यही बनाने का लंबा अनुभव है और जिसे कुछ भी नहीं उसे दिया गया क्योंकि मित्र का दिवालिया भाई जो ठहरा यह भी विचारणीय विषय है।
यह भी पढ़ें : आधार से पैन कार्ड लिंक नहीं तो लगेगा 10000 का जुर्माना
मुझे यहाँ ये कहने में कोई गुरेज़ नहीं है ऐसा भी नहीं कि पहलें की सरकारें उद्योगपतियों को फ़ायदा नहीं पहुँचाती थी होता था लेकिन आँख बंद करके समर्थन नहीं होता था आज तो हद हो गयी जनता के हित कोई मायने नहीं रखता है सिर्फ़ अड़ानी अंबानी समूहों के लिए काम किया जा रहा है सरकार के मित्र धन्नासेठ किसानी के क्षेत्र में पहले ही धन लगाए हुए बैठे हैं। किसी ने गोदाम बना लिए हैं तो किसी ने रिटेल चेन ही खरीद ली है तो कोई अनाज भंडारण के लिए 100 एकड़ जमीन पानीपत में खरीदे बैठा है। राफ़ेल ख़रीद का मामला हो उसमें भी अंबानी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए सभी क़ायदे क़ानून ताक पर रख दिए गए थे वहीं अब भी हो रहा है लेकिन अब जो हो रहा है वह देश की सत्तर फ़ीसद जनता के साथ खिलवाड़ कर हो रहा है जिसका परिणाम अब देश का किसान सड़क पर आ गया है उनके सड़क पर आने को भी गोदी मीडिया के ज़रिए टारगेट किया जा रहा है पहले की तरह यह बात अलग है कि इस बार मोदी सरकार के द्वारा जितने भी पाँसे फेंके जा रहे हैं वह असरअंदाज नहीं हो पा रहे हैं।
यह भी पढ़ें : श्रीनगर की पहली महिला और सबसे कम उम्र की मुस्लिम महिला पायलट
सरल भाषा में समझ लीजिए कि अड़ानी अंबानी समूहों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए इन बिलों का मूल उद्देश्य खेती को बड़े उद्योगपतियों के हवाले करना है। बाजार आधारित खरीद फरोख्त व्यवस्था, असिमित स्टाक और कंट्रेक्ट फार्मिंग इसी दिशा में पहला कदम है। इन बिलों से APMC मंडियों और MSP की हालत वही होगी जो आज BSNL या अन्य सरकारी अर्द्ध सरकारी विभागों की हो रही है चाहें रेलवे स्टेशन हो ट्रेनें ,एयरपोर्ट हो या एयरलाइंस लाल क़िला हो या अन्य धरोहर सब कुछ चुनावों पैसों से मदद करने वाले उद्योगपतियों को देने पर तुले हैं प्राथमिकता अड़ानी अंबानी समूहों को दी जा रही हैं क्योंकि उन्होंने ज़्यादा पैसा दिया था। सरकार में आने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी जिस MSP के लिए क़ानून बनाने की माँग करते हो वह आज सरकार में आने के बाद उसे क़ानून बनाने से क्यों बच रहे हैं ?
यह भी पढ़ें : पाकिस्तान से पुलवामा हमले में शामिल सात आरोपियों की जानकारी मांगी
MSP की गारंटी क़ानून बेहद जरूरी है और हर फसल के दाम तय करें ताकि किसान 50 पैसे किलो में प्याज आलू सब्जियां ना बेंचे जिसे बिचौलिए बाद में 100 गुना दाम 40-50 रुपए किलो बेचता है। जेल का प्रावधान हो इन लुटेरे व्यापारियों के खिलाफ साथ ही किसान से जिस दाम पर फसल खरीदते हैं 20%अधिक मुनाफा न हो। विवादित अड़ानी अंबानी समूहों के क़ानूनों को सही साबित करने के लिए सरकार ने नई रणनीति तैयार की है जिसके तहत देशभर में सरकार और मोदी की भाजपा सात सौ प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगी और इतनी ही पंचायतें की जाएगी या की जा रही है जिसमें सरकार के द्वारा अड़ानी अंबानी समूहों के हक में बनाए गए तीनों क़ानूनों के बारे जानकारियाँ दी जाएगी या दी जा रही है कि कैसे किसानों की आय दो गुना हो जाएगी आदि साफ़तौर पर कहा जा सकता है कि एक बार फिर पूर्व की भाँति झूठ का सहारा लिया जाएगा।
यह भी पढ़ें : फ्रांस में अब हर मस्जिद होगी पंजीकृत, नया विधेयक पेश
अब यह बात अलग है कि इस बार हालात विपरीत है शायद झूठ न चलें और हो भी सकता है कि एक बार फिर अपने झूट से जनता को गुमराह करने में कामयाब हो जाए यह तो कुछ दिनों के बाद साफ़ हो पाएगा कि मोदी सरकार या मोदी की भाजपा का झूठ चलता है या किसानों का सच देखा जाए तो मोदी की भाजपा खुद और उसके पास झूठ फैलाने की मशीन है जिसे देश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नाम से पहचानता है। दुनियाँ में RSS से बड़ा झूठ फैलाने वाला कोई संगठन नहीं है जब तक हिन्दुस्तान की जनता यह बात समझेंगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी और यह विवादित क़ानून किसानों को बर्बाद करने का काम कर चुका होगा।
यह भी पढ़ें : जमात ए इस्लामी हिंद ने प्रभावितों की मदद
इस काले कानून में बडे व्यापारियों को मनमानी कीमत वसूलने की छूट दी गई है तथा असीमित भंडारण करने की छूट भी दे दी गई है किसानों को कोई ख़ास तयशुदा कीमत (MSP) देने की बंदिश नहीं, बाजार में बेचते समय कोई रोक टोक नहीं, सूट बूट वाले उद्योगपतियों के लिए भंडारण की कोई सीमा नहीं चाहे जितना माल जमा करें और उसके बाद मनमाना दाम वसूले क्योंकि फ़िलहाल इस मुल्क के मालिक के दोस्त जो ठहरे। क्या यह सब किसानों के हित में है ? जिस तरह किसान आंदोलन पर माओवादियों के कब्जे का प्रोपेगैंडा किया जा रहा है। गोदी मीडिया के माध्यम से उससे यह शक़ पैदा हो गया है कि मोदी सरकार की नीयत कुछ और ही है, हो सकता है आंदोलनकारियों की भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व घुसा हिंसा कर वाई जाए और उस हिंसा को किसानों के मत्थे मढ़ा जा सकता है। (जैसा CAA के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों में प्रयास किए गए थे सफलता उसमें भी नहीं मिली थी शायद इसमें भी न मिले लेकिन बाद में दिल्ली दंगे करा दिए थे जिसको पूरे देश दुनियाँ ने देखा कैसे संघ के द्वारा प्रायोजित दंगा हुआ था)। किसानों को शंका है कि अगर कुछ लोगों ने ही सिंडिकेट बनाकर खाद्य सामग्री की जमाखोरी कर ली तो सरकार क्या कर लेगी और जनता क्या कर लेगी ? जब क़ानून उन्हें इसकी इजाज़त दे रहा है।
यह भी पढ़ें : रोहित सरदाना ने मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की दी धमकी
इस जमाखोरी से किसान को क्या मिलेगा, क्योंकि उसके पास तो भंडारण की क्षमता ही नही हैं अगर उसके पास भंडारण करने की क्षमता होती शायद किसानों की आज जो हालत है वह न होती।मोदी सरकार एवं संघ अपने अड़ियल रुख पर कायम है कि विवादित अड़ानी अंबानी समूहों के हक़ बना कृषि कानून वापिस नही लिया जाएगा। MSP के नीचे फसल बिकना गैरकानूनी होगा इस बिल में एक ये लाइन बढ़ा देने से उसे बड़ी दिक्कत हो रही है।सरकार के मंत्री पीयूष गोयल किसानों के आंदोलन को लेफ्ट की साजिश बता रहे हैं। इस सरकार की यह भी एक ख़ासियत है जब कोई काम हाथ से निकल जाता है तो वह उसे नेहरू गाँधी परिवार या अन्य विपक्षी दलों के मथते मढ़ देती हैं या मढ़ने की कोशिश करती हैं सवाल यह भी कि जब कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों में कमियाँ थी तभी तो आपको इतने बड़े बहुमत के साथ सत्ता सौंपी है फिर भी आप पुराना राग अलापते रहते हो इसका एक ही मतलब हो सकता है कि आपको सरकार चलाना नहीं आता है देश की जनता ने मोदी की भाजपा पर भरोसा कर ठीक नहीं किया है जिसका ख़ामियाज़ा देश को और जनता दोनों को भुगतना पड़ रहा है।
Please Subscribe-
Facebook
WhatsApp
Twitter
Youtube
Telegram