इस्लाम में नमाज़ इबादत का मुख्य कार्य है। दिन में 5 बार नमाज अदा करना हर मुसलमान के लिए जरूरी है। लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि नमाज़ स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
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बेशक योगा कई बीमारियों से जिस्म की हिफाज़त करता है और नमाज़ सबसे बड़ा योगा है। अगर रोज 5 वक़्त की नमाज़ सुकून और त्वज़्ज़ो के साथ सही तरीके से अदा की जाए तो कोई अलग से योगा करने की ज़रूरत नही पड़ेगी।
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नमाज़ में हमारे ज़िस्म के हर हिस्से की एक्सरसाइज होती है सुबह फ़ज्र से लेकर रात ईशा की नमाज़ तक। अल्लाह ने अपनी इबादत में भी इंसानों की भलाई छिपा रखी है बस इंसान अमल नही करता।
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दिन में 5 बार नमाज़ से पहले वज़ु किया जाता है जिससे बॉडी सेनेटाइज होती है। नाक के अंदर पानी डाल जाता है जिससे फ़्लू का खतरा कम होता है। नमाज़ में एक खास पॉइंट पर ही नज़र रखनी होती है जो मेडिटेशन का काम करती है।
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रुकू की हालत में जिस्म 90 डिग्री पर मुड़ता है जिससे कन्धा, पेट, कमर, गुर्दे और घुटने की बीमारियों में शिफा होता है, कैलोरी बर्न होती है पेट की चर्बी कम हिती है, गठिया रोग से हिफाज़त होती है।
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सजदे की हालत में पैर की उंगलियां मुड़ी हुई होती है जो बॉडी को एक्यूप्रेशर करती है फेफड़ों को आराम मिलता है, खून ब्रेन तक पहुचता है जितना लम्बा सज़दा उतना दिमाग स्वस्थ रहेगा।
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सलाम में सीधा बैठ कर गर्दन दोनो तरफ मोड़ने से माइग्रेन से हिफाज़त होती है। दुआ की हालत में थोड़ी देर आंखे बंद होती है, नम होती है, आंखे फ्रेश हो जाती है।
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